25 Feb 2010
वाह संजीव, जीना कोई तुमसे सीखे
सुजीत कुमार पप्पू, मुजफ्फरपुर : कोई कल्पना कर सकता है कि हादसे में दोनों पैर गंवा बैठा शख्स एक पल भी शोक में नहीं गुजारता, बल्कि इलाज और दवा से मुक्ति पाने के तत्काल बाद अपने लक्ष्य को पाने की ओर कदम बढ़ा देता है, लक्ष्य पा भी लेता है? नहीं न? लेकिन, मुजफ्फरपुर में है ऐसा ही एक शख्स। नाम है संजीव कुमार, उम्र 36 वर्ष और रहता है दाउदपुर कोठी (एमआईटी) मोहल्ले में। वह नजीर है समाज के लिए और प्रेरणा है उन लोगों के लिए जो छोटे-छोटे हादसे में टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं। एक ट्रेन हादसे में दोनों पैर गंवा चुके संजीव ने ह्वीलचेयर के सहारे न केवल एमसीए किया, बल्कि नया साफ्टवेयर बनाकर कंप्यूटर की दुनिया में कीर्तिमान भी स्थापित कर दिया। उनके बनाए साफ्टवेयर का आज सूबे के हजारों व्यवसायी इस्तेमाल कर रहे हैं। संजीव अब कात्यायनी सिल्कन डाटा सिस्टम (केएसडीएस) प्रा. लि. कंपनी के नाम से इस साफ्टवेयर को देश स्तर पर उतारने की योजना बना रहे हैं। वे इस कंपनी के प्रबंध निदेशक भी हैं। दरअसल, दोनों पैरों से अपाहिज इस युवक ने नियति के क्रूर मजाक को वरदान के रूप में लिया। सकारात्मक सोच ही उनकी ताकत है। संजीव कहते हैं, प्रकृति सभी को अवसर देती है। मेरे साथ हुई घटना को लोग प्रकृति का मजाक समझने लगे, लेकिन मैंने इसे अवसर मानकर सकारात्मक सोच बनाए रखी और परिणाम है कि आज इस मुकाम पर हूं। उनका कहना है कि सभी अपाहिज, विकलांग, नि:शक्त व बेसहारा लोगों को उपलब्ध साधनों के बल अपने अंदर संचित ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए। कार्य मुश्किल हो सकता है, असंभव नहीं। विज्ञान के मेधावी छात्र व कंप्यूटर के दीवाने संजीव कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के कार्य से 22 अप्रैल 2001 को खगडि़या से घर लौट रहे थे। बरौनी स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने के दौरान धक्का लगने से गिरे और जांघ के नीचे से उनके दोनों पैर कट गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत न हारी। उस समय वे एक तरफ कंप्यूटर का डिप्लोमा कोर्स और दूसरी तरफ कंप्यूटर आपरेटिंग का जॉब भी कर रहे थे। जॉब के ही दौरान लोगों की विभिन्न व्यावसायिक समस्याओं से रूबरू हुए। इसी के मद्देनजर एक व्यावसायिक साफ्टवेयर में दिमाग लगाया और उसका निर्माण कर दिया, जो मेडिकल स्टोर्स, एफएम सीजी, मोटर पार्ट्स, स्कूल, कालेज आदि के लिए उपयुक्त साबित हुआ। 19 FEB 2010 dAINIK jAGRAN
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